Vice President of the Republic of India

10/14/2024 | Press release | Distributed by Public on 10/15/2024 23:47

Address (Excerpts) by Shri Jagdeep Dhankhar, Honourable Vice President at the presentation of first copy 'Vedarth Vigyanam' authored by Shri Acharya Agnivrat , in New Delhi on[...]

New Delhi | October 14, 2024

श्री आचार्य अग्निव्रत जी, the author and scientific interpreter of ancient Vedic text. यह ज्ञान कितना आवश्यक है, यह ज्ञान कितना महत्वपूर्ण है, और भारत जो आबादी में दुनिया का एक छठा है, ज्ञान में कहीं ज्यादा है। हमारी सांस्कृतिक विरासत, हमारी संस्कृति का ज्ञान, हमें दुनिया में अभूतपूर्व स्थान देता है और अच्छा विषय यह है कि वर्तमान में दुनिया भारत की पहचान को पहचानने लगी है।

Everybody present in the function, it is a unique function. It is a function which to most people will appear to be abstract, but it is rooted in our ground reality and because it connects us with our roots। हमारी जड़ों को याद दिलाता है। दुनिया में भारत की अमिट और प्रभावशाली पहचान है, तो हमारे वेद हैं| ज्ञान का अपार भंडार, कई विषय पर जब मुझे ज्ञान की आवश्यकता पड़ी, तो मैंने हर बार यह कहा कि क्या वेद में कुछ है? क्या स्वास्थ्य के बारे में अथर्ववेद में कुछ नहीं लिखा है?

I assured him of the scheme which he unfolded, the kind of connect he wants to generate, the synergy he wants to develop. He wants institutions to be in sync, so that we first become aware of the normal wealth of knowledge we have in all facets of science, and secondly, that we exploit it fully to our advantage.

मैंने मेरी चिंता राज्यसभा के सभापति की हैसियत से व्यक्त की कि हमारे महानुभाव, जो अनेक अच्छा कार्य कर रहे हैं, साक्षात रूप से उन्होंने वेदों को देखा ही नहीं है। घर में वेद मिलेंगे ही नहीं, और अपने ज्ञान को बढ़ाने के लिए ज्ञान की ठाट दिखाने के लिए वेदों का नाम लेते हुए थकते नहीं हैं। तो मैंने शिक्षा मंत्री जी को अनुरोध किया, माननीय धर्मेंद्र प्रधान जी को, कि आप यह कृपा कीजिए, वेदों के बारे में हर संसद सदस्य को आप पुस्तक भेजिए। उन्होंने भेजी। हो सकता है कि वह जिस भाषा में लिखे गए हों, वह लोगों की समझ में न आए। स्वाभाविक है, इसका अर्थ यह नहीं है कि वह रास्ता छोड़ दें। यह जरूरी है कि ऐसी भाषा में वेदों का प्रचार और प्रसार हो कि आम आदमी समझ पाए, सहज तरीके से अपना ले।

And I have no doubt, once our people come to grapple with the gold mine that is Vedas, they will pass it to all the generations. Diving deep into the Vedas, its various facets will not only enlighten but will inspire and motivate.

मैं जब थोड़ा पढ़ा, तो मेरे मन में आया कि यह कितना सार्थक है। हमारी उत्सुकता जो है, उसको बढ़ाता है और साथ में संतुष्ट भी करता है। वेदों को समझने के लिए हमारे ऋषियों ने समय-समय पर अनेक ग्रंथो की रचना की है। और जैसा आचार्य जी ने कहा, निरुक्त भी एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है। इस ग्रंथ को महाभारत कालीन माना जाता है। इस ग्रंथ का समय-समय पर अनेक विद्वानों ने अपने-अपने तरीके से, अपनी-अपनी समझ और योग्यता के अनुसार भाष्य किया है।

पर निरुक्त का वैज्ञानिक भाष्य हमारे सामने पहली बार आया है, जिसकी प्रतिलिपि मुझे मिली है। 5 साल से लेकर एक दशक तक का जो प्रयास है, यह अपने आप में इस बात का संकेत देता है कि कितने दृढ़ विश्वास और कितनी लगन के साथ सृष्टि के हित में कार्य किया गया है, अकेले भारत में नहीं।

700 मंत्रों पर आपने वैज्ञानिक भाष्य तो किया ही है। अनेकों में कठिन भी है, विवादित भी है, उन पर आपने प्रकाश डाला है, लोगों के आसानी से समझ में आने का मार्ग किया है। आपके अनुसार ग्रंथ में तारों की संरचना और उसमें होने वाली विभिन्न क्रियाओं के ऐसे विज्ञान का वर्णन किया गया है, जिसके बारे में आपने ध्यान आकर्षित किया है।

आपका यह दृष्टिकोण, की गहराई मे जाएंगे, तो कोई ऐसा विषय नहीं है, जिसका खजाना हमारे पास नहीं है। डॉक्टर सत्यपाल सिंह जी ने कितनी बड़ी चिंता व्यक्त की है। हमें सजग रहना पड़ेगा, उनका सृजन करना पड़ेगा, उनकी समझ के लिए टोलिया समूह बनाने पड़ेंगे। किसी भी राष्ट्र के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है, अर्थव्यवस्था से भी ज्यादा जरूरी है कि वह राष्ट्र मनोभावना से एकता का परिचायक हो।

A nation cannot grow only on economic parameters. The growth is sustainable, the growth is lasting once there is a projection of unity, उसके लिए जरूरी है कि divisive forces पर हम प्रहार करें। मैं तो यहां तक कहूंगा कि भारत जैसा देश, जो पृष्ठभूमि हमारी 5000 सालों की है, और कोई नहीं है। कोई भी दूसरा देश इसकी प्रतिष्ठा को आंच पहुंचाएं, हमारी संस्कृति को नीचा करने का प्रयास करें, हमें विभाजित करने का प्रयास करें, विध्वंसकारी ताकतों को बढ़ावा दें, तो निश्चित रूप से मानसिक प्रतिघात अवश्य होना चाहिए। और यह हर भारतीय नागरिक का कर्तव्य है।

जो रहस्य आज हम देख रहे हैं, और दुनिया के वैज्ञानिक जो उनका अध्ययन कर रहे हैं, अक्सर देखा गया है कि उनकी प्रचुर मात्रा में जानकारी हमारे यहां वेदों में है। रहस्यों पर पर्दा उठाना है, तो यह भी देखना पड़ेगा कि जानकारी तो है, पर हम किस स्तर पर थे, उस समय की जानकारी उपलब्ध की गई, किन हालात में की गई। और ऐसी स्थिति में, वेदार्थ विज्ञान नाम ही काफी है। वेद का अर्थ विद्यानम।

प्रधानमंत्री जी ने प्रयास किया, सार्थक है, अच्छा प्रयास किया। मैं स्वयं एक गंभीर लगाव के साथ हमारे उन प्रतिष्ठानों में गया, जो तकनीकी से जुड़े हुए हैं, विज्ञान से जुड़े हुए हैं। मैं इसरो में गया कई बार, इंडियन काउंसिल ऑफ़ साइंटिफिक रिसर्च में गया, और मैंने देखा कि जो प्रामाणिक रूप से ज्ञान प्राप्त है, उसका उपयोग हो रहा है। इसमें गुणात्मक बढ़ोतरी की गुंजाइश है। इन ग्रंथों से क्या सिद्ध होता है? एक, की वेद प्रमाणीय ग्रंथ है। हमारे वैदिक भाषा, ब्रह्मांड की भाषा है। वेद मंत्र परमात्मा द्वारा इस ब्रह्मांड में हो रहा वैज्ञानिक संगीत है। यह इस पुस्तक में लिखा है। यह मेरे विचार नहीं है, मैं तो सहमति व्यक्त करके बता रहा हूं।

यह ग्रंथ गुरुकुलों के छात्र-छात्राओं के लिए, आधुनिक शिक्षा में पले बड़े विद्वानों, वैज्ञानिकों के लिए उपयोगी है। जिन महापुरुषों ने भारत का संविधान बनाया, उसमें 22 चित्र रखे गए। सबसे पहला चित्र गुरुकुल का है। हमें उस ओर देखना पड़ेगा। आज के दिन क्या है? अंधाधुन संस्कृति की जड़ों से ऊपर उठकर, उनको तिलांजलि देकर लगे हुए हैं in assimilation of wealth.

They are ignorant. They are not aware of this wealth. Assimilation of wealth can satisfy only material needs; it cannot satisfy your hunger for intellect, it cannot satisfy your soul, it cannot give the happiness which is of eternal nature.

यह अतिशयोक्ति नहीं है कि दुनिया में जो भी संपन्न व्यक्ति है और मानसिक रूप से उद्वेलित है, पीड़ित है, परेशान है, शांति की आवश्यकता है, वह भारत में आते हैं। कितनों के नाम हैं, और वह चर्चित नाम तो हैं ही। संख्या बहुत ज्यादा है।

तो मेरा यह मानना है कि यह प्रयास सही दिशा में है। मैं यही कहूंगा कि वैदिक विज्ञान अनुसंधान में प्रगति हमारी प्रगति का द्योतक है और भारत का जो सिद्धांत है, दुनिया में जो हमने प्रसार किया है, प्रसारित किया है और दिखाया है, हम दुनिया को एक कुटुंब मानते हैं, सब की चिंता करते हैं।

मैं आपको बहुत शुभकामनाएं देता हूं आपके इस प्रयास के लिए। आपको बहुत-बहुत धन्यवाद।

Thank you so much.